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आतंकवाद पर भारत का बदलता चेहरा, और भारत ने ठानी सबक सिखाने की

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पुलवामा में हाल ही हुए फिदायीन हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया, पूरा देश रो रहा था. देश इसलिए रो रहा था क्यूंकि हमारे भाई शहीद हुआ, और ऐसी परिस्थिति में जब कि वे सिविल एरिया में थे, वे वार ज़ोन में नहीं थे.

भारत जब से आजाद हुआ है, तब से हीं ऐसी आतंकी हमले हम पर होते हैं. भारत चुकी महात्मा गाँधी विचारधारा से प्रभावित है, तो हमने लड़ने को बहादुरी नहीं माना. अब ऐसे आतंकी हमले को विचारधारा का दुष्परिणाम भी मान सकते हैं, क्यूँकि यह कहीं ना कहीं आतंकियों को बढ़ावा दे रहा था, उनके मनोबल को बढ़ा रहा था.

पर पुलवामा हमले से लोगों का रोष जो दबा था, बाहर आया और सबने बोला “अब नहीं, ये लातों के भूत यह आतंकी बात से नहीं मानने वाले”. हर बार की तरह इसबार हाथ पर हाथ नहीं रखने की ठानी और इसका नतीजा यह होने वाला था, कि हरबार डराने वाले दहशतगर्द अब डरने वाले थे.

इस बार भारत ने ठान ली सबक सिखाने की. बीते मंगलवार सुबह 3:30 पर 12 मिराज विमानों द्वारा जैशे-ए -मोहम्मद के कई ठिकानों पर बमबारी शुरू कर दिया. विशेषकर हमला देश के अंदर नहीं, सरहद उसपार जाकर वायुसेना के फौज ने करवाई की. जिसकी पुष्टि मिलिट्री ऑपरेशन के डाइरेक्टर जनरल रणबीर सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में भी की.

रणबीर सिंह डाइरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन
रणबीर सिंह डाइरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन

इस हमले ने ना सिर्फ पाकिस्तान को बल्कि पूरा संसार को चौंका दिया. भारत द्वारा यह हमला भारत की शक्ति प्रदर्शन का नहीं था बल्कि दुनिया में यह साफ करने के लिए था कि, भारत अब आतंकवाद से लड़ेगा, दम से लड़ेगा और जो हाथ देश के खिलाफ उठेगा, उसे ना तो सर्फ तोड़ा जाएगा बल्कि काट दिया जाएगा.

देश ने हमले से यह साफ किया कि, जहाँ देश में महात्मा गाँधी थे वहाँ बोस भी थे. यह देश प्यार भी करना जानता है और लड़ना भी.

पीएम मोदी भी खुद को रोक ना पाए और कह दिया “देश की मिट्टी की सौगंध, देश को झुकने नहीं दूँगा”.

ऐसी परिस्थिति में देश के हर एक संस्था और राजनैतिक दलों ने एकमत होकर सरकार का समर्थन किया, क्यूँकि मसला देश का था, देश के लिए था. सब की एकजुटता नये भारत की आगाज है, और संसार के लिए संदेश है कि “हम सब एक हैं”. जै हिन्द, जै भारत!!

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