दिल्ली : पुरूषो का जंतर-मंतर पर पुरुषों के बराबर अधिकार के लिए प्रदर्शन, राजनैतिक दलों को NOTA वोट की चेतावनी

17 मार्च 2019, जंतर-मंतर, सेव इंडियन फ़ैमिली फ़ाउंडेशन (SIFF) की अगुवाई में देश भर से आए सैकड़ो कार्यकर्ता एवं पीड़ित पुरुषों ने 2019 के आम चुनावों के लिए राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में पुरुषों के मुद्दों की मांग की साथ ही पुरुष आयोग की भी माँग की है. माँग नहीं माने जाने की स्थिति में NOTA को वोट देने की चेतावनी दी।

समाज में पारिवारिक विवाद को एक अपराध की संज्ञा देना, विवाह संस्था पर प्रश्न है। हमारे देश का कानूनी व प्रशासनिक व्यवस्था पुरुषों और परिवार की रक्षा करने में विफल रहा है, परिणामस्वरूप पुरुषवर्ग में गुस्सा वृध्दि होना और आत्महत्याएं बढ़ रही हैं।

पुरुष आयोग की माँग के लिए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

एसआईएफएफ ( SIFF) के संस्थापक सदस्य श्री पांडुरंग एस कट्टी ने कहा कि, अब समय आ गया जब वैवाहिक संबंध खत्म होने पर विभिन्न कानूनों के माध्यम से पुरुषों को दंडित करने की अवधारणा को समाप्त किया जाना चाहिए।

उत्तर भारत स्थित एसआईएफएफ ( SIFF) के उत्तर भारत चेप्टर के अध्यक्ष श्री रूपेंशू प्रताप सिंह ने कहा कि ऐसे जांच में एजेंसियां प्राय, पेशेवर रूप से अपने कार्य को सरंजाम नही दे रही हैंं. यहां तक कि किसी शिकायत की निष्पक्ष जांच करने की कोशिश भी नहीं करती हैं अपितु उन सभी लोगों को गिरफ्तार करने के लिए दौड़ पड़ती हैं जिन्हे शिकायत में आरोपी बनाया गया होता है। इस ही कड़ी में सैन्य कर्मी भी शिकार हुए और होते रहते है परिणामत: उन्हें देश की सीमा से अदालत तक प्राय: भागना पड़्ता है जो कि उनके उपर एक प्रकार का दोहरा अत्याचार है।

एसआईएफएफ ( SIFF) श्री विक्रम बिसयार, मीडिया हेड ने कहा कि, हमारे जवान जो पहले से ही सीमा पर विकट परिस्थितियों में रह रहे होते हैं, वर्तमान में ऐसे दुरुह कानूनों से उनके जीवन यापन को सभ्य समाज ने कठिन बना दिया है, उक्त कानूनों का व्यापक रूप से दुरुपयोग हो रहा है. पुरुषों की प्रताड़ना सबसे ज्यादा कानून के गलत उपयोग से हो रहा है, ऐसे कानून में सुधार लाने की जरूरत है.

श्री कुमार एस रतन का कहना है कि, हमारे समाज में अब भी अच्छे लोगों का अभाव नही है और वे एक अच्छे पिता भी हैं। पति‌ -पत्नी के वैवाहिक विवाद उत्पन्न होने की स्थिति में भी प्रत्येक बच्चे को विवाद माता-पिता दोनों की पहुँच दी जानी चाहिए, दोनों का प्यार आवश्यक है। विश्व के अधिकांश देशों ने “साझा पेरेंटिंग और संयुक्त जिम्मेदारी (SPJR) को अपनाया है, परंतु भारत वर्ष UNCRC के अनुदेशों को अपनाने में विफल रहा है।

उत्तर भारत स्थित एसआईएफएफ ( SIFF) के उत्तर भारत चेप्टर के वरिष्ठ नागरिक के सद्‍स्‍य श्री आर के शर्मा ने कहा कि महिला सशक्तीकरण पुरुषों, परिवार और बच्चों की कीमत पर नहीं होना चाहिए। ऐसा लगता है कि, महिला उत्थान के बने कानून का, छोटे घरेलू झगड़ों में भी रहा है, इसका नतीजा है बढ़ रहे विवाह विच्छेद.

पुरुष सुरक्षा के लिए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

प्रदर्शन में स्वर्गीय स्वरूप राज के माता-पिता भी शामिल हुए. ग्यात हो कि स्वरूप, Genpact के अधिकारी थे, और उनपर कार्य स्थल पर यौन शोषण का आरोप लगा था, जिससे कि वो आहत होकर खुदखुशी कर ली थी.

स्वरूप राज के माता-पिता

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